वागडी कहावतें भाग - 2
1- दुबरी गाय नी बगाहे गणी - (कमजोर व्यक्ति की ज्यादा मुसीबते होना)
2- गजा वाणी गडेदी अमदावाद नु भाडू - (क्षमता से अधिक कार्य करना)
3- कुतरा नु कुटुंब पादरू होय तो दाडे द्वारका जाये - (व्यक्ति सही दिशा में चले तो मंजिल तक अवश्य पंहुचता है)
4- कोडी नु काम नी घडी नी नवरायी नी - (व्यर्थ की मेहनत करना)
5- डेटका ने होय (सुई) नो डाम - (व्यक्ति अनुसार सजा देना)
6- नवरी रे तो नातरे जाये - (एक काम से फुरसत मिले तो दूसरा करे)
7- वेटिये-वेटिये वाड़ करी, कागला बेई नी ढरी पड़ी - (जैसे तैसे करके काम करना और छोटी सी गलती से काम बिगड़ जाना)
8- हई ना पामणा घेरे ने घेरे - (किये हुए कार्य का कुछ फायदा न होना)
9- माँ ना वखाणे भीम नी केवाय - (अपनों द्वारा की गई तारीफ कुछ काम की नहीं)

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