Header Ads

test

वगर बुद्धि नी तोमडी...(वागडी निर्गुणी भजन)

1. वगर बुद्धि नी तोमड़ी तो नीत गंगा में नावें ---2
मईला रे परदा खुल्या वना तो कदी न मिठी थावें।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।
2. अरे पोपट बैठो पांजरे ने, पांजर झुला खाये ---2
पोपटिया तो उडी गया ने खाली पेंजर रह्या।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।
3. अरे सरकी ने सरकी सैयोर मली ने जल भरवा ने जाय ---2
भरी करी ने अवला मंगल गावे।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।
4. अरे हीरा पड्या मैदान में ने, मुर्खो (आंदो) उरूण्डि जाय ---2
देखे से पण लेतो नती ऐने कईया जनम नु पाप।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।
5. अरे धमण-धमुका लई लीदा ने जारे ऐरण करे पुकार ---2
मईला रे कोलसा बुझी गया ने उठी गया लोहार।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।
6. अरे हाथी रे सुटा सेर में ने, पीछे पडी पुकार ---2
दस दरवाजा बंद करया तोय निकल गया असवार।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।
7. अरे नदी किनारे घर मण्डावों, नावों निर्मल नीर ---2
आल्या वना सु पामसो भई कई ग्या दास कबीर।
रामा भुली रे हाँ ऽऽऽऽऽऽऽ, दाता आनों भाव शेरे बताव साहेब रे कबीर।

साभार
लक्ष्मण दास वैष्णव
रंगथौर, हाल मुकाम डूंगरपुर
लक्ष्मणदास वैष्णव

कोई टिप्पणी नहीं