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गूंगा दर्शक बण्ये, काम ने बणे कएंक करवू पड़े...(गूंगे दर्शक बने, काम नहीं बनेगा कुछ करना पड़ेगा)


दरेक क्षेत्र में थई रया थका प्रयोग, ने विकास ताजी वात है। वदारे थकी वदारे योजनाएं जाजी भावना ने लई ने बणावी लएं है। ई जुदी वात है के थोडिक योजनाअं ने पसाडी नेता, ने अफसर नो सवारथ पण रे। पण ई, विशार करवा लायक नती, केमके जो, मनक धारी लय, के सरकार नी सब योजनाओं नो पूरो लाभ आपण लंगा, तो आपण लोग पूरो लाभ लई ने आपडी आपडा परिवार नो, ने पूरा समाज नो विकास करी शकं। पण ऐम थातु नती, कारण आपण गुंगा दर्शक बणी नी रई रया हं।
सरकारी बस मए बई नी आपण जाई रया हं, ने अगाडी वारा टेशण माते गणं मानवी बस नी वाट जोई रयं हैं। बस खाली हैं, पण ऐणा टेशण माते उबी राकी, सवारियं ने नती लेवाती। बस मएं बैइं थक संभ्रांत नागरिक एनो विरोध करे? नती करत, कारण एणने सुविधा मली गई, बीज खाडा मएं पडे, आपडे हूं।
रद्दी वारा ने एयं सरकारी चैपडिये रद्दी मएं तोलत दिकएं। बडिया, सुन्दर चित्र बण्य थकं अच्छा मोटा-मोटा अक्षर। नानू, पेली-दूसरी नू सुरू देके, तो आपू-आप भणवा बई जाए।
पण गरीब विद्यार्थी-बालक ने ऐनो लाभ नी मले, ऐनो लाभ व्यापारी सणा ने तमाकु बांधी नी आलवा मएं ले। आपण देखी रया हं, पण....
अंत्योदय योजना ना गउं हिदा ट्रक में भराई ने व्यापारी ने एयं तोलाई रया हैं, अंत्योदय ना चयनित परिवारं ने ऐनो लाभ नती मलतो पण....कईयाक गरीब भाई नू नाम गरीबी रेखा नी नेसे ना चयनितं नी गणती में रेवू जूवे पण ऐना मएं, नेतागीरी करवा वारा, ऐशो-आराम मयं रेवा वारा ने साठ-गाठ मएं होशियार आदमीयं नू नाम मले। आपण सब जाण हं, पण....
पूलियं, सामुदायिक भवन, सी.सी. रोड ने बीज निर्माण कामं मएं घटिया माल नो उपयोग थई रयो है, उगाडी आपडं नेए असुविधा थाहे, पण काम कराबवा वारा आपडे मलवा वारा हैं, क्यारेक आपडे ऐणनू काम पडहे, आपण ने बोल, गूंगा रं।
वर्षो हुदी पाणी पीवाडी आपडी तरस मटाडी, ने आए-पाए नी गरीब जनता ने पाणी आलवा वारा सार्वजनिक-प्याउ तोडी नाक्या, थोडिक दबी-दबी आवाज हती ई साप दबी गई।
आपडा हक, आपडा अधिकार लेवा, ने, ऐंनो पूरो लाभ लेवा। सरकारी योजनाएं ताजी हैं, पण ऐनो लाभ नती लेवातो।
समाज नं पिछडं, गरीब, ने असहाय नी दशां मएं सुधार आवेगा, तो आरक्षण नी नितिय मएं परिवर्तन थाएगा।
एटले आपण सबने मली ने आवा सब अन्याय ने, शोषण नो विरोध करवों पडेगा।
गरीब ना कोरियो गरीब ना मूडा मएं जावों जूवे। एनं फूलं हरक सुर फाट-टूट भोंदर मएं ने रेव जूवे। ऐनो हक, ऐने मलवो जूवे।
करोडो रूपया नी योजनाओं नो उपयोग देकावों जूवे।
एना टापरा मयं, एक हांडी एक खाटलो, ने एक फाटी गूदड़ी वारी दशा बदलावी जूवे।
हवे सेतवाई जावू पड़े, आपडं ने जागरत रेवू पडे, खाली देखी रय काम ने साले, कएक करवू पडें।
साभार
अखिलेश पंड्या
पत्रकार, दैनिक भास्कर
सागवाड़ा
अखिलेश पंड्या

1 टिप्पणी:

  1. भाई हर्षित रिंकू वैष्णव का आभार, आपने मेरे कई साल पुराने वागड़ी लेखन का पुनः स्मरण करा दिया.... यह आज भी सामयिक है... धन्यवाद

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