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काट्टा (मृत्युभोज) नो श्राप...

जेणा आंगणा मय बैटा ना दुःख थकी आई अकराई रई है,
ऐये जाई ने तमने हवाद हरते भावे,
धणी ना दुःख मय खुणे बैटी राडी बाई रुवे
ऐणा आंगणा माते बई ने पंगत जमते तमने दुःख नी थाय,
मरी ने हरग ग्यो इ तो, एनो विशार तो करो,
धरम इस के है के काट्टू नकी खो,
जातो रयो इतो, जे कमावा वारो अतो,
घोर वारं ने संता खाय, काट्टू हरते करवू,
घर ना मनक भुक्या-तरया रइने, तमने लापी-सुका, पूड़ी खावडाब्बी,
आंदा टाकणा नी वाय, जीवते मरी जए,
आणा खूटा रिवाज ने हादरवा नो, तमे टेको तो बताडो,
काट्टू नी खावा ना होगन खाई ने,
ऐणा घोर वारा ने टेको आलो!
साभार
मनोहर सिंह रेलड़ा
जिला कोषाध्यक्ष वागड़ क्षत्रिय महासभा
डूंगरपुर
मनोहर सिंह रेलड़ा 

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