वागड़ महोत्सव
पिछले 20 वर्षों से डूंगरपुर ज़िले का गौरव रहा है वागड़ महोत्सव
1996 में तत्कालीन जिला कलक्टर श्री राजेंद्र भाणावत ने की शुरुआत...
वागड़ की बहुरंगी संस्कृति, लोककला, इतिहास, परम्पराएँ, ऐतिहासिक धरोहरों, मेलो, उत्सवों, पर्यटन स्थलों से आमजन को रूबरू कराने एवं वागड़ को पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के उद्देश्य डूंगरपुर में 1996 से वागड़ महोत्सव का प्रारम्भ तत्कालीन जिला कलक्टर श्री राजेंद्र भाणावत के निर्देश व नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ, तब से लेकर इन 20 वर्षो में वागड़ महोत्सव ने कई ऊँचाइयाँ पाई हैं।
शुरुआत में बेणेश्वर मेले के साथ शुरू हुआ वागड़ महोत्सव
सर्वप्रथम वागड़ महोत्सव 2 से 3 फ़रवरी 1996 में आयोजित किया गया। इन तिथियों के पीछे यह सोच कि मानसून से लेकर दीपावली तक यहाँ की पहाड़ियाँ हरीतिमा से आच्छांदित रहती हैं और ताल-तलैया भी भरे रहते हैं। इन्ही दिनों में मेलों की बहार शुरू हो जाती हैं, बाद के वर्षो में यह देखते हुए कि बेणेश्वर मेले में विदेशी पर्यटक आते हैं, वह भी वागड़ महोत्सव से जुड़कर वागड़ की लोककला व संस्कृति से रूबरू हो इसलिए इसका आयोजन बेणेश्वर मेले की तिथि के अनुसार किया जाने लगा।
इतिहासकारों के अनुसार डूंगरपुर नगर की स्थापना के दिन से शुरुआत
इसी दौरान डूंगरपुर के इतिहासकार श्री महेश पुरोहित ने डूंगरपुर नगर की स्थापना तिथि की खोज की और नगर पालिका, डूंगरपुर के सहयोग से डूंगरपुर नगर की स्थापना दिवस मनाया जाने लगा। इसी के समानांतर वागड़ महोत्सव का आयोजन डूंगरपुर ज़िले के ही भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी डॉ. विश्वास मेहता जो उस दौरान पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के निदेशक थे, के प्रयासों व डूंगरपुर ज़िले के प्रति लगाव के चलते पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र द्वारा वागड़ महोत्सव का नियमित रूप से आयोजन होता रहा है। इसी आयोजन के दौरान इतिहासकार श्री पुरोहित के आग्रह पर वागड़ महोत्सव डूंगरपुर नगर स्थापना तिथि कार्तिक सुदी ग्यारस (देवउठनी ग्यारस) को आयोजित किया जाने लगा।
वागड़ महोत्सव में होता है विविध कार्यक्रमों का आयोजन
आयोजन के तहत नगर के लक्ष्मण मैदान में लोक सांस्कृतिक शोभायात्रा, गेपसागर झील पर दीपदान, वागड़ के प्रसिद्ध शोरगर बंधुओ द्वारा आतिशबाज़ी, वागड़ के विभिन्न पारम्परिक खेल, रंगोली, मेहंदी, गिड़ा-डोट आदि प्रतियोगिता के आयोजन के साथ-साथ पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों की प्रस्तुतिया, स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतिया, गैर, घुमरा, गलालेंग, हिड गायन, वाद्ययंत्रों का वादन, विद्यालयी छात्रों की सांस्कृतिक प्रस्तुतिया, कवी सम्मलेन, बॉलीवुड संगीत संध्या आदि के आयोजन किये जाते है।
पुरे डूंगरपुर ज़िलेभर में होता है आयोजन
वागड़ महोत्सव का आयोजन डूंगरपुर शहर के अलावा डूंगरपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल देवसोमनाथ, दाउदी बोहरा समाज की विश्व प्रसिद्ध दरगाह गलियाकोट तथा उपखण्ड मुख्यालय सागवाड़ा, सीमलवाड़ा, बिछीवाड़ा व आसपुर भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। इन कार्यक्रमों में राज्य सरकार के मंत्रीगण, ज़िले के प्रभारी सचिव सहित प्रशासनिक अधिकारी, जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाते रहते है।
विश्वप्रसिद्ध कलाकारों के कार्यक्रम भी आयोजित होते है
वागड़ महोत्सव में ख्यातनाम पद्मश्री हंसराज हंस, ओडिसी नृत्यांगना सोनल मानसिंह, पड़वानी गायिका तिजन बाई, प्रसिद्ध बांसुरी वादक रोनू मजूमदार, वीणा वादक सलील भट्ट, प्रसिद्ध कव्वाल साबरी बंधू, कोहिनूर लंगा, विश्व प्रसिद्ध भपंक वादक ज़हूर खां मेवाती, इंडियन आइडल चारु नेहवाल, चरित दीक्षित वॉइस ऑफ़ इंडिया, कत्थक नृत्यांगना कविता ठाकुर सहित कई देश के शीर्ष कलाकारों ने वागड़ महोत्सव को नयी उंचाईया प्रदान की।
जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारियो का होता है पूर्ण सहयोग
वागड़ महोत्सव के समस्त कार्यक्रमो में पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक डॉ. विश्वास मेहता के अलावा डूंगरपुर ज़िले के जिला तत समय के जिला कलक्टर के पद पर रहे डॉ. राजेंद्र भाणावत, पी.के. गोयल, मंजू राजपाल, नीरज के पवन, सुबीर कुमार, पी.सी. किशन, पूनम, विक्रम सिंह, इंद्रजीत सिंह, सुरेंद्र कुमार सोलंकी, राजेंद्र भट्ट,चेतन देवड़ा तथा वर्तमान में अलोक रंजन आदि के साथ-साथ नगर परिषद् डूंगरपुर का भी पूर्ण योगदान रहा है।
वागड़ महोत्सव एक नज़र में
- 1996 : प्रथम वागड़ महोत्सव में पश्चिमी सांस्कृतिक केंद्र व उत्तर सांस्कृतिक केंद्र इलाहबाद के लोक कलाकारों द्वारा लोककलाओं का प्रदर्शन किया गया तथा विशाल शोभायात्रा में राजशाही सवारी, वागड़ की विभिन्न लोक संस्कृतियों की झलक से औतप्रोत तथा कलाकारों द्वारा निकाली गयी। इस कार्यक्रम में विदेशी सैलानियों ने भाग लिया।
- 1997 से 2007 तक : 1997 में बेणेश्वर मेले में व 1998 में बांसवाड़ा मनाया गया तथा वर्ष 2000 में 10 से 14 अक्टूबर तक बांसवाड़ा में व 15 से 19 अक्टूबर को डूंगरपुर में पश्चिम व उत्तर सांस्कृतिक केंद्र, पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन व नगर पालिका के संयुक्त तत्वाधान में मनाया गया। इस कार्यक्रम में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, पंजाब, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश आदि राज्यों के कलाकारों के साथ स्थानीय कलाकारों द्वारा लोकानुरंजन प्रस्तुतिया दी गयी। इस समारोह में पहली बार वागड़श्री प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे श्री भूपेंद्र सिंह देवलां को पगली बार वागड़श्री से नवाज़ा गया। वर्ष 2001 से 2018 तक लगातार वागड़ महोत्सव मनाया जाता रहा हैं। इस वागड़ महोत्सव के सम्पूर्ण कार्यक्रम का सञ्चालन स्थानीय भाषा वागड़ी श्री भूपेंद्र सिंह देवलां में किया जाता है तथा वर्ष 2017 से कार्यक्रम की शुरुआत भी मंगलमूर्ति म्यूजिकल ग्रुप डूंगरपुर के हर्षित वैष्णव द्वारा वागड़ी सरस्वती से की जाती है।
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| छायाचित्र : कुणाल स्टूडियो, डूंगरपुर |
साभार
भूपेंद्र सिंह देवलां
वागड़श्री










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